21 साल 24 दिन की उम्र में अमन सहरावत भारत के सबसे युवा ओलिंपिक मेडलिस्ट बन गए हैं। शुक्रवार को अमन ने पेरिस ओलिंपिक में भारत को रेसलिंग का पहला मेडल दिलाया। इसी के साथ अमन ने भारतीय रेसलर्स की उस विरासत को आगे बढ़ाया, जिसकी नींव 1952 में केडी जाधव ने ब्रॉन्ज जीतकर रखी थी। भारतीय रेसलर्स ने लगातार 5वें ओलिंपिक खेलों में मेडल जीता है।
अमन ने यह जीत जोरदार अटैक और स्टेमिना से हासिल की। पहला पॉइंट गंवाने के बाद अमन ने आक्रामक रुख अपनाया और विपक्षी को थकाया। फिर दूसरे राउंड में 7 अंक बटोरकर एकतरफा अंदाज में ब्रॉन्ज जीता।
अमन ने फ्री-स्टाइल 57kg कैटेगरी में प्यूर्टो रिको के डरियन टोई क्रूज को 13-5 से हराया। यह आसान नहीं था। इस मैच से ठीक पहले उनका वजन 61 किलो से ज्यादा हो गया था, लेकिन अमन और उनके कोच ने महज 10 घंटे के अंदर 4.6 KG वजन घटाया।
अमन ने यह मुकाबला अपने जोरदार अटैक, स्टैमिना और रणनीति से जीता। पहला पॉइंट गंवाने के बाद अमन ने आक्रामक रुख अपनाया। उन्होंने विपक्षी पर लेग अटैक किया और उन्हें घुटनों पर ले जाकर अंक बटोरे। पहले राउंड में अमन ने बड़ा दांव नहीं खेला और अपना स्टेमिना बचाकर रखा। यहां अमन विपक्षी को थका रहे थे।
जब प्रतिद्वंद्वी थक गया तो फिर अटैक शुरू किया और दूसरे दौर से 7 अंक निकाल लिए। इसमें भी उन्होंने लेग अटैक से अंक निकाले। इतना ही नहीं, जब प्रतिद्वंदी ने अमन के लेग पर अटैक किया तो खुद को बखूबी बचाया। मेरे हिसाब से यह मुकाबला एकतरफा रहा। इस पूरे मुकाबले में अमन ही आगे रहे।