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एक ही ओलिंपिक में 2 मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली हरियाणा की शूटर मनु भाकर मायूस है। यह मायूसी इस बात की है कि वह गोल्ड नहीं जीत सकी। इसका खुलासा मनु भाकर के पिता राम किशन भाकर ने किया। उन्होंने बताया कि आज के मैच से पहले कल उनकी मनु से बात हुई। मनु गोल्ड मेडल न जीत पाने से मायूस है। फिर भी यह देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने मनु की जीत का क्रेडिट उसकी मां सुमेधा भाकर को दिया। उन्होंने कहा कि मैं तो मर्चेंट नेवी में हूं। ड्यूटी पर रहता हूं। टाइम नहीं मिल पाता। मनु पर सारी मेहनत उसकी मां ने ही की है। मां सुमेधा ने कहा- मैं मनु के मैच नहीं देखती। मैंने उसके दोनों मेडल वाले मैच नहीं देखे। उन्होंने कहा कि यह टोटका नहीं बल्कि गुरुकुल की परंपरा है, जिसमें ऐसे वक्त पर एकांतवास में रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सब हनुमान जी के भक्त हैं। मैच के वक्त भी मैं हनुमान जी की भक्ति कर रही थी। मैं साथ में श्रीमद भागवत गीता लेकर बैठी थी। मेरी यही प्रार्थना थी कि कृष्ण भगवान मनु को उसकी मेहनत का फल जरूर दें। मनु 12 घंटे प्रैक्टिस करती, मां हर वक्त साथ रहती
मनु 12-12 घंटे प्रैक्टिस करती थी। उसकी मां हर वक्त साथ रहती थी। मनु को कब क्या खाने को देना है, इसका ध्यान भी मां ही रखती थी। बता दें कि मनु भाकर ने पेरिस ओलिंपिक में पहले 10 मीटर शूटिंग के सिंगल इवेंट में मनु ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इसके बाद मंगलवार को टीम इवेंट में ब्रॉन्ज जीता। एक ओलिंपिक में 2 मेडल जीतने वाली वह पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई है। मनु की जीत इस मायने में भी बड़ी है कि उन्होंने 12 साल बाद भारत को शूटिंग में पदक दिलाया है। भारत ने एथेंस 2004 से लंदन 2012 ओलिंपिक में लगातार 3 मेडल जीते। हालांकि इसके अगले 2 ओलिंपिक में शूटिंग में भारत को कुछ नहीं मिला। वहीं टीम इवेंट में मनु भाकर के जोड़ीदार सरबजोत सिंह भी हरियाणा के ही रहने वाले हैं। उनके पिता जतिंदर सिंह अंबाला में रहते हैं। बेटे के मेडल जीतने की खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि हमने सरबजोत के मैच नहीं देखे। मंगलवार यानी आज हुआ ओलिंपिक मैच न मैंने देखा और न ही सरबजोत की मां ने। उसके मेडल जीतने के बाद बधाईयां आने पर इसका पता चला। सरबजोत ने मैच के बाद कहा कि मैंने यहां से मां को फोन किया था लेकिन वह मुझे कह रहीं कि बाद में फोन करना, अभी मैं बिजी हूं। ​​​​​​पीएम मोदी ने सरबजोत से फोन पर बात करके भी बधाई दी। सरबजोत के पिता ने कहा कि अगर वे ओलिंपिक में पेरिस जाते तो बेटा भावुक हो जाता। बेटे की हिम्मत बनी रहे, इस वजह से वे साथ नहीं गए। उन्होंने फैसला लिया कि वे मैच नहीं देखेंगे और रिजल्ट बेटे से ही सुनेंगे। उन्होंने बताया कि सरबजोत ने यूट्यूब पर देखकर शूटिंग में दिलचस्पी बढ़ाई।